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आह को चाहिए इक उम्र असर होने तक

आह को चाहिए इक उम्र असर होने तक.
कौन जीता है तिरी जुल्फ के सर होने तक.

दामे-हर-मौज में है हल्क़ा-ए-सदकामे-निहंग
देखें क्या गुजरे है कतरे पे गुहर होने तक.

आशिकी सब्र-तलब और तमन्ना बेताब
दिल का क्या रंग करूं खूने-जिगर होने तक.

हमने माना कि तगाफुल न करोगे लेकिन
खाक हो जाएंगे हम तुमको खबर होने तक.

परतवे-खुर से है शबनम को फ़ना की तालीम
मैं भी हूं एक इनायक की नज़र होने तक.

इक नज़र बेश नहीं फुर्सते हस्ती गाफिल
गर्मी-ए-बज्म है इक रश्के- शरर होने तक.

ग़मे-हस्ती का असद किससे हो जुज मर्ग इलाज
शम्मा हर रंग में जलती है सहर होने तक.





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